कमलनाथ सरकार पर जो आज संकट के बादल मंडरा रहे है उसकी पटकथा तो स्वयं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ही तैयार की है
अधिकारियों के भरोसे रहकर उनको मनमानी करने की छूट देने की गलती करके जनप्रतिनिधियों व पार्टी कार्यकर्ताओं की लगातार उपेक्षा की जाती रही जिसके कारण अपने ही विरोध का बिगुल बजाने के लिए मजबूर हो गये l इसी तरह जनसंपर्क विभाग भोपाल के अधिकारियों द्वारा सरकार को गुमराह कर के पत्रकार विरोधी नीतियों व दमनकारी निर्णयों को लागू करने का प्रयास किया जा रहा है l जिसके तहत तमाम तरह की जांच करने के लिए नित नए आदेश जारी किए जा रहे हैं l और यह सब प्रक्रिया जारी रहने की आड़ में समाचार पत्रों के प्रदर्शन विज्ञापन रोक दिए गए हैं और तो और 2018 के बिलों का भुगतान आज तक भी नहीं हो पा रहा l जिससे सरकार और प्रदेश के हजारों समाचार पत्रों के बीच दूरी लगातार बढ़ती जा रही है l सच तो यह है कि समाचार पत्रों की जांच का अधिकार किसी भी प्रदेश सरकार को नहीं है प्रेस एवम बुक रजिस्ट्रेशन ऐक्ट 1867 की कंडीका 19 F एवम 19 I के अनुसार  समाचार पत्रों की जांच केंद्र सरकार का सूचना प्रसारण मंत्रालय का विभाग आर. एन. आई. ही कर सकता है l   इसकी पुष्टि माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 20/12/2010 से भी होती है l तमाम तरह के प्रयासों के बाद भी जनसंपर्क विभाग के अधिकारी अपनी मनमानी जारी रखे हुए हैं वह हमे हाइकोर्ट जाने के लिए जबरन मजबूर कर रहे हैं ताकि मामला सालों साल उलझा हुआ रहे l और इस दौरान अपने चहेतों को लगातार  मुख्यमंत्री, मंत्री व अधिकारियों द्वारा हर तरह से उपकृत किया जा रहा है l अगर यही स्थिति रही तो सरकार के लिए आगामी समय में संकट और बड़ सकता है l अब भी समय है कमलनाथ जी चेत जाए और अपने इर्द गिर्द के निकम्मे नाकारा लोगों को तुरंत बाहर कर दे और सभी को सुनकर स्वयं उचित निर्णय लेकर सब की नाराजगी दूर कर के लोकप्रिय मुख्यमंत्री साबित हो l
 
 
 
