सोशल प्लेटफॉर्म पर अभिव्यक्ति की आजादी व सीमाएं,डॉ. भारत भूषण ओझा 

सोशल प्लेटफॉर्म पर अभिव्यक्ति की आजादी व सीमाएं 



इंटरनेट के युग में आम व्यक्तियों के हाथ में अभिव्यक्ति की आजादी का प्लेटफार्म है। इस प्लेटफार्म पर काम करते हुए।आम आदमी को अभिव्यक्ति की आजादी व सीमाओं का भी ज्ञान होना आवश्यक है


वर्तमान परिस्थिति में कोरोना महामारी के चलते हुए कई प्रकार की अफवाहें, फेक न्यूज़, फेक विडियो सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाई जा रही है। सरकार कठोर कार्रवाई कर रही है। लेकिन सरकार की इस कठोर कार्रवाई से कानुन से अनभिज्ञ लोग भी शिकार हो रहे हैं। उन्हें बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सोशल मीडिया पर काम करते हुए अभिव्यक्ति की आजादी और उसकी सीमाएं क्या है? यह जानना आवश्यकहै। 


सुप्रीम कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66A को अभिव्यक्ति की आजादी के मूल सिद्धांत के विरुद्ध मानते हुए संविधान केे अनुच्छेद 19(1) Aके तहत नागरिकों के पास अभियुक्ति कि आजादी का अधिकार है। कहते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने आईटी एक्ट की धारा 166 A को संविधान विरोधी व असमंजस पूर्ण मानते हुए। सरकार किसी भी व्यक्ति को सोशल मीडिया पर लिखने या बोलने के कारण गिरफ्तार नहीं कर सकती है सरकार या प्रशासन उसकी बात से सहमत नहीं है तो उस पोस्ट को हटवा सकती है। किंतु इस कार्य के लिए उसे गिरफ्तार  नहीं कर सकती और उसे जेल नही भेज सकती।


नागरिकों को भी कानूनी पक्ष जानना आवश्यक है ऐसे कई कानून है जिसके तहत सरकार अभी भी उन्हें गिरफ्तार कर सकती है और उन्हें जेल भेज सकती है। अभिव्यक्ति की आजादी की स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं है कि हम देश का माहौल बिगाड़ने में हम संलग्न हो इन निम्न धाराओं के अंतर्गत सरकार कार्रवाई कर सकती है जिनका सामान्य जनमानस को जानना अनिवार्य है। व्यक्ति अधिकता के कारण से आई हुई पोस्ट को फॉरवर्ड कर देता है उसे यह सब जानना भी आवश्यक है।



1.धारा 54 डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट - यदि कोई व्यक्ति फेसबुक व ट्विटर पर यह क्लेम करता है कि कई लोग राजस्थान में मरे हैं एव कई.लोगों के संक्रमित होने की संभावना है और सरकार उनकी टेस्टिंग नहीं कर रही है ऐसे में धारा 54 के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है


वर्तमान में एबीपी माझा जो कि महाराष्ट्र का एक न्यूज़ चैनल है उसके  खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC)धारा 188 धारा 269 धारा 270 धारा 117 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है उन्होंने यह खबर फैलाई थी कि 14 अप्रैल से बांद्रा स्टेशन से ट्रेन शुरू होने वाली है



2.भारतीय दंड संहिता (IPC)धारा 153 यदि - कोई व्यक्ति किसी को उकसाता है और यदि उसके उकसाने पर दंगे होते हैं तो 1 साल एवं भीड़ इकट्ठी होती है तो 6 महीने की सजा का प्रावधान है जैसे कि जैसे कि किसी व्यक्ति ने फेसबुक या व्हाट्सएप पर पोस्ट किया कि सरकार लॉक डाउन खत्म करने वाली है उसके तहत कई लोग बाजारों में खड़ा हो जाते हैं और कुछ लड़ाई झगड़ा हो जाता है



3.भारतीय दंड संहिता (IPC)धारा 153 A - यदि कोई व्यक्ति अपनी पोस्ट के माध्यम से दो सुमदायो को आपस में लड़ाने की कोशिश करता है चाहे वह दो सुमदाय रिलीजन के आधर पर हो या कास्ट के आधार पर हो । अर्थात धर्म, संप्रदाय, जाति को लड़ाने के लिए अगर कोई फेसबुक, व्हाट्सएप, टि्वटर आदि पर कोई पोस्ट किया जाएगा तो धारा 153 A के तहत मुकदमा दर्ज होगा।



4.भारतीय दंड संहिता (IPC)धारा 182 - यदि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है कि की कोई आदमी बीमार है संक्रमित है उसके बाद सरकारी महकमे के लोग उस व्यक्ति को ले जाते हैं और उसके टेस्ट करते हैं टेस्ट में यह बात गलत निकलती है कि वह व्यक्ति संक्रमित है वह व्यक्ति स्वस्थ है ऐसे में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले व्यक्ति के विरूद्व धारा 182 के तहत मुकदमा दर्ज होगा।



5.एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 के तहत राज्य सरकार अपने राज्य में कुछ नियम के तहत आदेश जारी कर सकती है ऐसे में दिल्ली सरकार के नियम 6 दिल्ली एपिडेमिक डिजीज के तहत या कहा गया है कि सरकार की मंजूरी के बिना कोई भी व्यक्ति कोरोना संबंधित पोस्ट नहीं करेगा और यदि वह करेगा तो यह धारा 188 का उल्लंघन होगा। धारा 188 है सरकारी नियमों का उल्लंघन करना।



6.भारतीय दंड संहिता (IPC)धारा 269 - यदि कोई व्यक्ति व्हाट्सएप, फेसबुक टि्वटर आदि सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है कि नमाज पढ़ने ,सूर्य नमस्कार करने ,आयुर्वेदिक काढ़ा पीने से कोरोना नहीं होता है एवं उसे बंद रहने की जरूरत नहीं है वह खुले में घूम सकता है उसे मास्क लगाने की भी जरूरत नहीं है ऐसे में धारा 269 के तहत उस व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज होगा।



7.भारतीय दंड संहिता (IPC)धारा 270 - यदि कोई व्यक्ति झूठी खबर फैलाता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय या ग्रह मंत्री कार्यालय से आदेश आया है कि लॉक डाउन 6 महीने तक बढ़ाया जाता है और सभी व्यक्ति जो अभी यहां रह रहे हैं वह अपने घर चले जाएं तो ऐसे में धारा 270 के तहत मुकदमा दर्ज होगा।



8.भारतीय दंड संहिता (IPC)धारा 336 -यदि कोई व्यक्ति ऐसी पोस्ट सांझा करता है या डालता है कि शराब का सेवन करने से कोरोनावायरस जैसी बीमारी नहीं होती है एवं शराब का अत्यधिक सेवन करने से या शराब की जगह कोई और वस्तु पीने से यदि व्यक्ति बीमार होता है तो पोस्ट करने वाले व्यक्ति पर धारा 336 के तहत मुकदमा दर्ज होगा।



9.भारतीय दंड संहिता (IPC)धारा 464 - यदि कोई व्यक्ति झूठे तथ्य तैयार करता है जैसे कि झूठे वीडियो, झूठे कागजात और यह कहता है कि होम मिनिस्ट्री या प्रधानमंत्री कार्यालय की ताकत है और उसे फैलाता है तो इसके तहत मुकदमा दर्ज किया जायेगा या इस तरह के झूठे तथ्य प्रस्तुत करता है कि यह किताब या यह कागज संघ का है एवं संघ आरक्षण खत्म करना चाहता है तो इस तरह के झूठे कागजात बनाने वाले पर 464 के तहत मुकाबला दर्ज किया जा सकता है



10.भारतीय दंड संहिता (IPC)धारा 470 -कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर यह पोस्ट करता है कि एक व्यक्ति जिसे कोरोना वायरस है वह वायरस फैला रहा है एवं 100 से अधिक लोगों को वायरस फैला दिया है ऐसे में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज किया जा सकता है क्योंकि वह व्यक्ति किसी की रेपुटेशन खराब करने के मकसद से यह पोस्ट कर रहा है



11. भारतीय दंड संहिता (IPC)धारा 471- यदि आपके पास कोई फेक वीडियो डॉक्यूमेंट या कागजात आते हैं यह जानते हुए भी कि यह गलत है आप उसे फेसबुक व्हाट्सएप टि्वटर आदि पर फैलाते हैं तो धारा 471 के तहत आप पर कार्रवाई होगी।



12.भारतीय दंड संहिता (IPC)धारा 499 मानहानि- यदि आप ऐसा कोई पोस्ट करते हैं जिससे सामने वाले व्यक्ति की रेपुटेशन खराब हो तो वह आप पर डिफेमेशन का केस लगा सकता है ।



13.भारतीय दंड संहिता (IPC)धारा 505 - पब्लिक के साथ धोखा करने के लिए या मिश्चीफ करने के लिए यदि कोई व्यक्ति यह पोस्ट करता है कि आगामी 15 दिन में उदयपुर के 90% लोग कोराना से संक्रमित हो जाएंगे तो उदयपुर वासियों को यह जगह छोड़कर चली जाना चाहिए ऐसे में कई सारे लोग उदयपुर छोड़ने का प्रयास करते हैं बस स्टैंड रेलवे स्टेशन इत्यादि पर भीड़ जमा हो जाती है तो धारा 505 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।


15. इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2005 धारा 66 C - यदि कोई व्यक्ति किसी और के नाम को उपयोग में लेकर एवं किसी और के फोटो को उपयोग में लेकर कुछ गलत पोस्ट करता है और यह बताने की कोशिश करता है कि वहां सोशल मीडिया पर पोस्ट किसी एक व्यक्ति ने करी है तो उस व्यक्ति की पहचान (आइडेंटिटी) की चोरी के मामले में धारा 66 C के तहत मुकदमा दर्ज होगा।



समाचार पत्र, रेडियो, टीवी व सोशल मीडिया सब पर यह कानून लागू होते हैं। इन कानूनों के तहत पत्रकार व आम आदमी की अभिव्यक्ति की आजादी सम्मिलित हैं। इसलिए हम सभी को सावधानीपूर्वक समाज हित व देश हित के लिए कार्य करना चाहिए । कानून से ऊपर कोई भी नहीं है ।


डॉ. भारत भूषण ओझा 


उदयपुर


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